Essay on India Gate in Hindi: पर्यटकों के लिए आकर्षण और राष्ट्रीय सम्मान का प्रतीक इंडिया गेट पर निबंध

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Essay on India Gate in Hindi

Essay on India Gate in Hindi: भारत का इतिहास अनेक वीरों की गाथाओं से भरा हुआ है, जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। इन वीरों की स्मृति में निर्मित ‘इंडिया गेट’ न केवल एक भव्य स्मारक है, बल्कि यह भारत की वीरता, बलिदान और राष्ट्रीय गर्व का प्रतीक भी है। इस स्मारक को दिल्ली की धड़कन कहना अनुचित नहीं होगा, क्योंकि यह स्मारक इतिहास और आधुनिकता का अनोखा संगम प्रस्तुत करता है। इसलिए इस लेख में आपके लिए इंडिया गेट पर निबंध (Essay on India Gate in Hindi) के सैंपल दिए गए हैं। इंडिया गेट पर निबंध पढ़ने के लिए इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें।

100 शब्दों में इंडिया गेट पर निबंध

यहाँ आपके लिए 100 शब्दों में इंडिया गेट पर निबंध (Essay on India Gate in Hindi) का सैंपल दिया गया है, जो इस प्रकार हैं;-

इंडिया गेट का निर्माण ब्रिटिश शासनकाल में प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) और तीसरे एंग्लो-अफगान युद्ध (1919) में शहीद हुए 74,187 भारतीय सैनिकों की स्मृति में किया गया था। बताना चाहेंगे इसकी नींव 10 फरवरी 1921 को ड्यूक ऑफ कॉनॉट द्वारा रखी गई थी, और इसे प्रसिद्ध वास्तुकार सर एडविन लुटियन्स ने डिज़ाइन किया था। यह स्मारक 42 मीटर ऊँचा है और इसका उद्घाटन 12 फरवरी 1931 को तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन द्वारा किया गया था। इंडिया गेट की वास्तुकला फ्रांस के ‘आर्क दे त्रिओंफ’ से प्रेरित है, जिसमें लाल भरतपुर पत्थर और पीले बलुआ पत्थर का उपयोग किया गया है।

200 शब्दों में इंडिया गेट पर निबंध

यहाँ आपके लिए 200 शब्दों में इंडिया गेट पर निबंध (Essay on India Gate in Hindi) का सैंपल दिया गया है, जो इस प्रकार हैं;-

भारत की राजधानी दिल्ली के हृदय में स्थित इंडिया गेट, देश की वीरता, बलिदान और एकता का प्रतीक है। बता दें कि इसकी नींव 10 फरवरी 1921 को ड्यूक ऑफ कनॉट द्वारा रखी गई थी, और इसका उद्घाटन 12 फरवरी 1931 को तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन ने किया था। इसे प्रसिद्ध ब्रिटिश वास्तुकार सर एडविन लुटियन्स ने डिजाइन किया था। बताना चाहेंगे 42 मीटर ऊँचा यह स्मारक लाल और पीले बलुआ पत्थरों से बना है, जो इसकी भव्यता और मजबूती को दर्शाता है।

इंडिया गेट की दीवारों पर शहीद सैनिकों के नाम अंकित हैं, जो आने वाली पीढ़ियों को उनके बलिदान की याद दिलाते हैं। इसके साथ ही वर्ष 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद, इंडिया गेट के नीचे ‘अमर जवान ज्योति’ स्थापित की गई, जो अनंत काल तक जलती रहने वाली ज्योति के रूप में शहीदों को श्रद्धांजलि देती है।

इंडिया गेट न केवल एक ऐतिहासिक स्थल है, बल्कि यह देशभक्ति और एकता का प्रतीक भी है। इंडिया गेट की भव्यता और महत्व हमें यह याद दिलाते हैं कि देश की स्वतंत्रता और अखंडता की रक्षा के लिए अनेक वीरों ने अपने प्राणों की आहुति दी है। यह स्थल पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है और नागरिकों के लिए गर्व का स्रोत है।

500 शब्दों में इंडिया गेट पर निबंध

यहाँ आपके लिए 500 शब्दों में इंडिया गेट पर निबंध (Essay on India Gate in Hindi) का सैंपल दिया गया है, जो इस प्रकार हैं;-

प्रस्तावना

जब भी भारत के महान युद्धवीरों की वीरता और बलिदान की बात होती है, तो जो स्मारक सबसे पहले हमारी स्मृति में उभरता है, वह “इंडिया गेट” है। देखा जाए तो नई दिल्ली के राजपथ पर स्थित यह ऐतिहासिक स्मारक न केवल स्थापत्य की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारत की राष्ट्रीय अस्मिता, गर्व और बलिदान का जीवंत प्रतीक भी है। ब्रिटिश शासनकाल में निर्मित यह गेट आज भी भारतीय सेना के शौर्य और देशभक्ति की भावना को दर्शाने वाला प्रमुख स्थल है।

इंडिया गेट का इतिहास

इंडिया गेट का निर्माण ब्रिटिश शासनकाल में प्रथम विश्व युद्ध और तीसरे एंग्लो-अफगान युद्ध में शहीद हुए भारतीय सैनिकों की स्मृति में किया गया था। इसका शिलान्यास 10 फरवरी 1921 को ड्यूक ऑफ कनॉट (Duke of Connaught) द्वारा किया गया और इसका निर्माण कार्य 1931 में पूर्ण हुआ। यह स्मारक एडविन लुटियंस द्वारा डिजाइन किया गया था, जो उस समय के प्रमुख ब्रिटिश वास्तुकारों में से एक थे।

इंडिया गेट की संरचना

इंडिया गेट की ऊँचाई 42 मीटर है और इसे लाल और पीले बलुआ पत्थर से बनाया गया है। इसकी संरचना आर्क (Arch) के रूप में है जो रोमन विजय स्तंभों से प्रेरित है। यह स्मारक राष्ट्रीय स्मृति का प्रतीक है, जो हमारे स्वतंत्रता सेनानियों और सैनिकों की बहादुरी को श्रद्धांजलि अर्पित करता है। इसके आधार पर “INDIA” शब्द उकेरा गया है और इसके चारों ओर शिलालेख हैं जो शहीदों की वीरता का वर्णन करते हैं।

1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद, इंडिया गेट के नीचे अमर जवान ज्योति की स्थापना की गई थी। यह ज्योति एक राइफल के ऊपर रखी हुई सैनिक की टोपी के साथ जलती रहती है, जो हमारे वीर शहीदों को समर्पित है। इसका उद्घाटन 26 जनवरी 1972 को भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा किया गया था। यह अनंत ज्योति भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना के शहीदों को निरंतर श्रद्धांजलि देती है।

इंडिया गेट का महत्व

इंडिया गेट न केवल एक ऐतिहासिक स्मारक है, बल्कि यह राष्ट्रीय एकता और गौरव का प्रतीक भी है। हर वर्ष गणतंत्र दिवस परेड की शुरुआत इसी स्थल से होती है, जो देश की सैन्य शक्ति और सांस्कृतिक विविधता का प्रदर्शन करती है। इसके अलावा, यह स्थल नागरिकों के लिए एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल भी है, जहाँ लोग शाम के समय घूमने और पिकनिक मनाने आते हैं।

सरकार द्वारा समय-समय पर इंडिया गेट के संरक्षण और सौंदर्यीकरण के लिए विभिन्न योजनाएँ चलाई जाती हैं। हाल ही में, ‘सेंट्रल विस्टा’ परियोजना के तहत इसके आसपास के क्षेत्रों का पुनर्विकास किया गया है, जिससे यह स्थल और भी आकर्षक बन गया है।

उपसंहार

इंडिया गेट केवल एक स्मारक नहीं, बल्कि यह भारत की आत्मा का प्रतीक है, जो हमें हमारे अतीत की गौरवगाथा सुनाता है और भविष्य के लिए प्रेरणा देता है। यह स्थल हमें यह सिखाता है कि देशभक्ति केवल शब्दों में नहीं, बल्कि कर्मों में भी प्रकट होनी चाहिए। यह स्मारक हमें बलिदान की कहानी सुनाता है और हमें प्रेरित करता है कि हम भी अपने कर्तव्यों का निष्ठा से पालन करें और पूरे साहस के साथ मातृभूमि की सेवा कर सकें।

इंडिया गेट पर 10 लाइन

यहाँ आपके लिए इंडिया गेट पर 10 लाइन दी गई हैं, जो आपका परिचय भारतीय सैनिकों के बलिदान को समर्पित ऐतिहासिक स्मारक से करवाएंगी;-

  1. इंडिया गेट की आधारशिला 10 फरवरी, 1921 को ड्यूक ऑफ कॉनॉट द्वारा रखी गई थी।
  2. इसका डिजाइन प्रसिद्ध ब्रिटिश वास्तुकार सर एडविन लुटियन्स ने किया था।
  3. 12 फरवरी, 1931 को तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन ने इसे राष्ट्र को समर्पित किया।
  4. इंडिया गेट की ऊंचाई 42 मीटर है और यह लाल बलुआ पत्थर से बना है।
  5. बताना चाहेंगे इसकी संरचना पेरिस के आर्क डी ट्रायम्फ से प्रेरित है। 
  6. वर्ष 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद, 26 जनवरी 1972 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अमर जवान ज्योति का उद्घाटन किया। यह शहीद सैनिकों की स्मृति में जलती रहती है।
  7. वर्ष 2022 में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंडिया गेट के पास नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 28 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया।
  8. 2019 में इंडिया गेट के पास राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का उद्घाटन किया गया, जिसमें लगभग 25,942 शहीदों के नाम स्वर्ण अक्षरों में अंकित हैं।
  9. इंडिया गेट और इसके आसपास के क्षेत्र को हर शाम 5 बजे से 7 बजे तक रंगीन एलईडी लाइट्स से रोशन किया जाता है, जो एक आकर्षक दृश्य प्रस्तुत करता है।
  10. इंडिया गेट 24 घंटे खुला रहता है और यहाँ प्रवेश नि:शुल्क है। हालांकि, कुछ क्षेत्र रात के समय आगंतुकों के लिए बंद हो सकते हैं।

इंडिया गेट पर निबंध कैसे लिखें?

इंडिया गेट पर निबंध लिखने के लिए निम्नलिखित स्टेप्स को फॉलो करें, जो इस प्रकार हैं;-

  • निबंध की शुरुआत एक सरल और आकर्षक वाक्य से करें।
  • अब पाठक को इंडिया गेट के इतिहास के बारे में बताएं।
  • निबंध में यदि आप सही तथ्य और सरकारी आंकड़ों को पेश करते हैं, तो ऐसा करने से आपका निबंध और भी अधिक आकर्षक बन सकता है।
  • इसके बाद आप पाठकों का परिचय इंडिया गेट की संरचना और इसके महत्व से करवा सकते हैं।
  • अंत में एक अच्छे निष्कर्ष के साथ आप अपने निबंध का समापन कर सकते हैं।

FAQs

इंडिया गेट पर निबंध क्यों लिखा जाता है?

इंडिया गेट एक ऐतिहासिक और राष्ट्रीय स्मारक है जो शहीद सैनिकों की याद में बना है। इस पर निबंध लिखना छात्रों को देशभक्ति, इतिहास और स्मारकों के महत्व को समझने में मदद करता है।

इंडिया गेट कहां स्थित है और इसका निर्माण कब हुआ था?

इंडिया गेट भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित है। इसका निर्माण वर्ष 1931 में पूरा हुआ था।

इंडिया गेट का ऐतिहासिक महत्व क्या है?

इंडिया गेट प्रथम विश्व युद्ध और तीसरे एंग्लो-अफगान युद्ध में शहीद हुए भारतीय सैनिकों की स्मृति में बनाया गया था। यह देश के प्रति बलिदान की भावना को दर्शाता है।

इंडिया गेट का डिज़ाइन किसने बनाया था?

इंडिया गेट का डिज़ाइन प्रसिद्ध ब्रिटिश वास्तुकार सर एडविन लुटियन्स ने तैयार किया था।

इंडिया गेट के नीचे स्थित अमर जवान ज्योति क्या है?

अमर जवान ज्योति भारत-पाक युद्ध 1971 के बाद जोड़ी गई एक ज्योति है, जो शहीद सैनिकों की अमर याद में निरंतर जलती रहती है।

इंडिया गेट और राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में क्या अंतर है?

इंडिया गेट अंग्रेजों के काल में शहीद हुए सैनिकों की याद में बना था, जबकि राष्ट्रीय युद्ध स्मारक आधुनिक भारत के युद्धों में शहीद हुए सैनिकों को समर्पित है।

इंडिया गेट का निर्माण क्यों हुआ था?

इंडिया गेट का निर्माण प्रथम विश्व युद्ध और तीसरे एंग्लो-अफगान युद्ध में शहीद हुए भारतीय सैनिकों की स्मृति में हुआ था।

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