Essay on Condition of Farmers in India in Hindi: भारत को कृषि प्रधान देश इसलिए कहा जाता है क्योंकि यहाँ की एक बड़ी आबादी आज भी खेती पर निर्भर है और किसानों की भूमिका देश की अर्थव्यवस्था में बेहद महत्वपूर्ण है। किसानों की स्थिति पर अक्सर चर्चा होती है चाहे वह सामाजिक मंचों पर हो, मीडिया में या फिर राजनीतिक भाषणों में। लेकिन इन चर्चाओं से आगे बढ़कर ज़रूरी है कि हम वास्तव में समझें कि आज के भारत में किसानों की ज़िंदगी कैसी है और वे किन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।
यह विषय न सिर्फ स्कूल के छात्रों के लिए जरूरी है, बल्कि UPSC और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए भी सामाजिक और आर्थिक समझ का अहम हिस्सा है।
इस ब्लॉग में हमने आपकी सहायता के लिए ‘भारत में किसानों की स्थिति’ पर आधारित 100, 200 और 500 शब्दों में निबंध के सैंपल, 10 पंक्तियों में संक्षिप्त निबंध, और पॉइंटर फॉर्मेट में लेखन गाइडलाइन शामिल की है, ताकि आप इसे अपनी कक्षा, परीक्षा या प्रोजेक्ट के अनुसार उपयोग कर सकें।
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100 शब्दों में भारत में किसानों की स्थिति पर निबंध
यहाँ 100 शब्दों में भारत में किसानों की स्थिति पर निबंध (Essay on Condition of Farmers in India in Hindi) दिया गया है, जो इस प्रकार है:
भारत में कृषि क्षेत्र निरंतर वृद्धि की राह पर है। देखा जाए तो भारत सरकार द्वारा जारी हालिया आंकड़ों के अनुसार कृषि क्षेत्र में सुधार के प्रयास निरंतर जारी हैं। आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के मुताबिक खरीफ फसलों का उत्पादन लगभग 1,647 लाख मीट्रिक टन तक पहुंचा है और MSP में तूर, मसूर, बाजरा व सरसों में भारी वृद्धि हुई है। इसके साथ ही ‘पर‑ड्रॉप मोर क्रॉप’ योजना को मौजूदा वर्षों में ₹21,969 करोड़ की आर्थिक सहायता देकर लगभग 95 लाख हेक्टेयर जमीन पर सूक्ष्म‑सिंचाई लागू कर किसानों को लाभ पहुंचाया गया है। छोटे व सीमांत किसानों के लिए पीएम किसान सम्मान निधि के तहत अब तक लाखों करोड़ रूपये सीधे उनका बैंक खाते में भेजे गए हैं, जबकि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से ₹90 हजार करोड़ तक मुआवजा उपलब्ध कराया गया है।
200 शब्दों में भारत में किसानों की स्थिति पर निबंध
यहाँ 200 शब्दों में भारत में किसानों की स्थिति पर निबंध (Essay on Condition of Farmers in India in Hindi) दिया गया है, जो इस प्रकार है:
भारत में कृषि आज भी करोड़ों परिवारों की आजीविका है। आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, वर्ष 2024–25 में कृषि क्षेत्र ने 4.2% की वृद्धि दर्ज की। इसके साथ ही लगभग ₹21,969 करोड़ की सहायता से ‘प्रति बूँद अधिक फसल’ कार्यक्रम (PMKSY-Per Drop More Crop) से लगभग 95.6 लाख हेक्टेयर क्षेत्र समाहित हुआ है। इन पहलों से किसानों की लागत घटाने, सिंचाई की सुविधा बढ़ाने और आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करने का प्रयास हो रहा है। लेकिन जलवायु परिवर्तन और आत्महत्याओं जैसी चुनौतियां अभी भी बनी हैं और आगे काम करने की आवश्यकता है।
इसी के साथ, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN) से 11 करोड़ से अधिक किसानों को प्रतिवर्ष ₹6,000 की प्रत्यक्ष नकद सहायता दी जा रही है। बता दें कि सरकार ने खाने-पीने की फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) भी बढ़ाया है। उदाहरण के लिए, अरहर पर MSP में 59%, बाजरे पर 77%, मसूर पर 89% और सरसों पर 98% की वृद्धि की गई है।
इसके अलावा, खरीफ के लिए केंद्र सरकार ने 14 फसलों के MSP में वृद्धि की है, ताकि किसानों को लागत से कम से कम 50% लाभ सुनिश्चित हो सके। हालांकि, किसानों को चुनौतियों जैसे – जल संकट, जलवायु परिवर्तन, भूमि अपर्याप्त सिंचाई और भू-क्षरण आदि का भी सामना करना पड़ रहा है।
500 शब्दों में भारत में किसानों की स्थिति पर निबंध
यहाँ 500 शब्दों में भारत में किसानों की स्थिति पर निबंध (Essay on Condition of Farmers in India in Hindi) दिया गया है, जो इस प्रकार है:
प्रस्तावना
भारत की आत्मा कृषि से जुड़ी हुई है। लगभग 42% कार्यबल कृषि क्षेत्र में रोजगार पाता है, और कृषि एवं संबद्ध गतिविधियाँ देश के सकल मूल्य वर्धित (GVA) में लगभग 18-19% का योगदान देती हैं। भारत सरकार ने किसानों की आय, क्षमताओं और सुरक्षा के लिए कई पहल शुरू की हैं, जो सकारात्मक दिशा में कदम हैं। फिर भी, जल, बाजार और पर्यावरणीय चुनौतियों को समयबद्ध समाधान की आवश्यकता है, ताकि भारत का किसान सशक्त और आत्मनिर्भर बन सके।
कृषि के लिए जलवायु परिवर्तन और उत्पादन में गिरावट
भारत के सीमांत एवं छोटे किसानों की फसलों में अक्सर बड़ी हानि देखने को मिलती है, जिसका प्रमुख कारण जलवायु परिवर्तन है। आंकड़ों पर नज़र डाली जाए तो वर्ष 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, 50% से अधिक धान और 40% से अधिक गेहूं फसलें आधी या उससे अधिक प्रभावित हुईं है। इधर मानसून का समय-अनुपालन भी खराब रहा, जिसमें 80% किसानों ने खराब मौसम के कारण अपनी फसल गंवाई है। इससे किसानों की आय और उनकी आजीविका पर भी गहरा असर पड़ा है।
भारत में किसानों की आर्थिक स्थिति
सरकारी रिपोर्टों के अनुसार, भारत में फसल पैदावार चीन और ब्राजील से कम है, क्योंकि किसानों को खेतों की सिंचाई, मशीनीकरण और पूंजी तक सीमित पहुँच जैसी चुनौतियाँ होती हैं। देखा जाए तो पशुपालन और मत्स्य पालन जैसे सम्बद्ध क्षेत्र भी बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं, जिनका योगदान 2014-23 के बीच 24.3% से बढ़कर लगभग 30% हो गया। सरकार की रिपोर्ट (जुलाई 2023) के अनुसार, भारत में अभी केवल 47% कृषि गतिविधियाँ ही मशीनीकृत हैं, जबकि चीन में 60% और ब्राजील में 75% तक मशीनीकरण होता है।
भारत में किसानों के लिए की गई सरकारी पहल
भारत में किसानों के लिए भारत सरकार ने किसानों की आय-दोगुनी करने का लक्ष्य लेकर कई कदम जैसे- ई-नैम, पीएम-किसान, पीएम-फसल बीमा (PMFBY), मृदा स्वास्थ्य कार्ड, पीएमकस्यी एवं डिजिटल कृषि अभियान आदि उठाए हैं। ये पहल कृषि-आधारित जीवन को वैलेंटेबल और आत्मनिर्भर बनाना चाहती हैं, तो ज़मीनी स्तर पर सिंचाई, बाजार, ऋण एवं तकनीक तक सभी का व्यापक, सहज और पारदर्शी होता है। भारत में किसानों के लिए की गई सरकारी पहल के बारे में निम्नलिखित बिंदुओं को पढ़ सकते हैं –
- PMFBY: यह वर्षा, सूखा, बाढ़, रोग–कीट आदि जोखिमों में फसल क्षति से किसानों की आय सुरक्षित करता है।
- PM-KISAN: इस योजना के अंतर्गत 3 किस्तों में प्रति वर्ष ₹6,000 सीधे किसानों के बैंक खाते में ट्रांसफर होते हैं; 2024 में इसकी 18वीं किस्त में 9.4 करोड़+ किसानों को ₹20,000 करोड़ मिले।
इन योजनाओं के अलावा ‘नानो यूरिया’, ‘हैप्पी सीडर’, ‘ड्रोन’, ‘पीयूसा डीकंपोजर’, ISRO‑सैटेलाइट इमेजिंग जैसी तकनीकों को लागू किया गया है, जिससे कृषि की क्षमता में सुधार हो रहा है।
उपसंहार
भारत के किसान विशेषकर छोटे और सीमांत क्षेत्र के किसी बड़े संघर्ष से गुजर रहे हैं। जलवायु परिवर्तन की मार, कर्ज़ और आत्महत्या की चिंताजनक दर, संरचनागत कमी और बाजार विसंगतियों ने स्थिति को और जटिल बना दिया है। बता दें कि इसके लिए सरकार द्वारा कई प्रमुख योजनाएँ जैसे- PMFBY, PM-KISAN, मशीनीकरण एवं तकनीकी सुधार आदि चलाई जा रही है, जो एक सकारात्मक संकेत है, लेकिन इनके आदर्श क्रियान्वयन और लाभार्थियों तक पहुँच सुनिश्चित हो, यह अभी करना शेष है।
भारत में किसानों की स्थिति पर 10 लाइन
भारत में किसानों की स्थिति पर 10 लाइन इस प्रकार हैं:
- केंद्र सरकार ने 2013‑14 में ₹21,933 करोड़ से बढ़कर 2024‑25 में ₹1,22,529 करोड़ तक कृषि व कल्याण के लिए बजट बढ़ाया है।
- सरकार द्वारा प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत अब तक लगभग 11.3 करोड़ किसान परिवारों को ₹2 लाख करोड़ से अधिक की धनराशि वितरित की जा चुका है।
- कृषि अवसंरचना कोष (AIF) ने 74,695 परियोजनाओं को मंजूरी दी हैं, जिससे किसानों को 11‑14% अधिक मूल्य मिलने में मदद मिली है।
- इसके साथ ही कई रिपोर्ट्स के अनुसार ट्रैक्टर की बिक्री में उत्तर प्रदेश राज्य में लगभग 62% तक वृद्धि से कृषि गतिविधियाँ स्वचालित और कुशल हुईं हैं।
- सीमांत किसानों में खराब मौसम की वजह से फसलें गवाने वाले किसान जलवायु‑प्रतिरोधी बीजों का अधिकाधिक उपयोग कर रहे हैं।
- ISRO के सैटेलाइट डेटा और ड्रोन तकनीक जैसे डिजिटल कृषि उपाय किसानों को आधुनिक तकनीकों से लाभ पहुँचा रहे हैं।
- देखा जाए तो सरकार की योजनाओं और देश में बढ़ते निवेश से भी भारतीय किसान कई क्षेत्रों में आगे बढ़ रहे हैं।
- एक रिपोर्ट के अनुसार सरकार की डिजिटल कृषि मिशन के तहत अब तक लगभग 6.1 करोड़ से अधिक किसानों को डिजिटल पहचान/फार्मर आईडी मिल चुकी हैं, जिससे उन्हें क्रेडिट, बीमा, और ऐसे कई लाभ सीधे उनके खाते में पहुँच रहे हैं।
- 22 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों में 1,260 मंडियों को e‑NAM से जोड़ा गया है; अब तक 1.74 करोड़ किसान और 2.36 लाख व्यापारी पंजीकृत हैं।
- 2014–22 की अवधि में कृषि मशीनीकरण के लिए ₹5,490 करोड़ खर्च किए गए, और 13.88 लाख उपकरण किसानों को सब्सिडी पर उपलब्ध कराए गए।
भारत में किसानों की स्थिति पर निबंध कैसे लिखें?
भारत में किसानों की स्थिति पर निबंध लिखने के लिए निम्नलिखित स्टेप्स को फॉलो करें, जो इस प्रकार हैं –
- निबंध की शुरुआत एक सरल और आकर्षक वाक्य से करें।
- अब पाठकों को कृषि के लिए जलवायु परिवर्तन और उत्पादन में गिरावट के बारे में बताएं।
- निबंध में यदि आप सही तथ्य और सरकारी आंकड़ों को पेश करते हैं, तो ऐसा करने से आपका निबंध और भी अधिक आकर्षक बन सकता है।
- इसके बाद आप पाठकों का परिचय भारत में किसानों की स्थिति और इसके लिए शुरू की जा रही सरकारी पहलों से करवाया जा सकता है।
- अंत में एक अच्छे निष्कर्ष के साथ आप अपने निबंध का समापन कर सकते हैं।
FAQs
भारत में किसानों की स्थिति आज भी कई चुनौतियों से घिरी हुई है जैसे कम आमदनी, कर्ज का बोझ, मौसम की मार, और उचित बाजार मूल्य की कमी।
किसानों की सबसे बड़ी समस्या है आय की अस्थिरता और लागत के मुकाबले फसल का कम मूल्य मिलना।
सरकार प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, और किसान क्रेडिट कार्ड जैसी योजनाएं चला रही है ताकि किसानों को आर्थिक मदद मिल सके।
तकनीक से सिंचाई, बीज, और कीटनाशकों का सही उपयोग संभव होता है, जिससे पैदावार बढ़ती है और लागत घटती है।
भारत के किसान गेंहू, धान, गन्ना, कपास, मक्का, दालें और कई अन्य मौसमी फसलों की खेती करते हैं।
भारतीय कृषि की मुख्य समस्याएँ ग्रामीण विकास से सीधी जुड़ी हैं, क्योंकि बुनियादी सुविधाओं की कमी उनके जीवन को और कठिन बना देती है।
कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए सस्ती कृषि सामग्री, उचित समर्थन मूल्य, आधुनिक प्रशिक्षण और बेहतर बाजार व्यवस्था जरूरी है।
हां, अगर सही तरीके से की जाए तो जैविक खेती किसानों को बाजार में बेहतर दाम दिला सकती है और मिट्टी की गुणवत्ता को भी बनाए रखती है।
किसान आंदोलन ने कृषि कानूनों पर राष्ट्रीय स्तर पर बहस को जन्म दिया और सरकार को किसानों की बात सुनने को मजबूर किया।
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