Essay on Bhishma Narain Singh in Hindi: संघर्ष, सेवा और सफलता की मिसाल भीष्म नारायण सिंह पर निबंध

1 minute read
Essay on Bhishma Narain Singh in Hindi

Essay on Bhishma Narain Singh in Hindi: भीष्म नारायण सिंह भारतीय राजनीति के एक ऐसे कद्दावर नेता थे, जिन्होंने भारतीय लोकतंत्र को मजबूती देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी राजनीतिक यात्रा और योगदान भारत सरकार के दस्तावेजों और संसदीय अभिलेखों में सहेजे गए हैं। इस लेख में आपके लिए भीष्म नारायण सिंह पर निबंध (Essay on Bhishma Narain Singh in Hindi) के कुछ सैंपल दिए गए हैं, जो परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।  

100 शब्दों में भीष्म नारायण सिंह पर निबंध

यहाँ आपके लिए 100 शब्दों में भीष्म नारायण सिंह पर निबंध (Essay on Bhishma Narain Singh in Hindi) का सैंपल दिया गया है, जो इस प्रकार हैं;-

भीष्म नारायण सिंह एक अनुभवी राजनीतिज्ञ थे। उनके जीवन परिचय पर नज़र डाली जाए तो आप जानेंगे कि उनका जन्म 13 जुलाई 1933 को झारखंड (तत्कालीन पलामू, उदयगढ़) में एक किसान परिवार में हुआ था और उन्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने वर्ष 1967 में बिहार विधानसभा में पदार्पण किया, फिर वे वर्ष 1976 में राज्यसभा सदस्य बने। इसके बाद में उन्होंने संसदीय कार्य, आवास, श्रम, खाद्य, नागरिक आपूर्ति और संचार मंत्रालयों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। बता दें कि वर्ष 1984 से 1989 तक उन्हें असम और मेघालय (साथ ही सिक्किम व अरुणाचल प्रदेश का अतिरिक्त प्रभार) का राज्यपाल नियुक्त किया गया। उनका निधन 1 अगस्त, 2018 को 85 वर्ष की आयु में हुआ था।

200 शब्दों में भीष्म नारायण सिंह पर निबंध

यहाँ आपके लिए 200 शब्दों में भीष्म नारायण सिंह पर निबंध (Essay on Bhishma Narain Singh in Hindi) का सैंपल दिया गया है, जो इस प्रकार हैं;-

भीष्म नारायण सिंह की जीवन यात्रा एक राजनेता से आगे बढ़कर, समाज सेवा, नीति निर्माण और कई राज्यों की भलाई तक फैली। उनका कार्यकलाप, ईमानदारी और जनसमर्थन आज भी प्रेरणा देते हैं। बता दें कि भीष्म नारायण सिंह 1991‑93 में तमिलनाडु, पुडुचेरी और अंडमान–निकोबार समूह के राज्यपाल भी रहे। भीष्म नारायण सिंह का जन्म 13 जुलाई 1933 को हुआ था। बताना चाहेंगे वे भारतीय राजनीति के प्रतिष्ठित शख्सियत थे, जिन्होंने देश की सेवा में अनेक महत्वपूर्ण पदों पर काम किया था। 

बताना चाहेंगे झारखंड (तत्कालीन बिहार) के पलामू ज़िले के उदयगढ़ गाँव में एक किसान परिवार में जन्मे, भीष्म नारायण सिंह ने बीएचयू से शिक्षा ग्रहण की और अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1967 में बिहार विधानसभा में विधायक चुनकर की थी। वर्ष 1984 में उन्हें असम, मेघालय (साथ ही सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश की अतिरिक्त जिम्मेदारी) के राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया गया। इस काल में उन्होंने सामाजिक एवं राजनीतिक मतभेदों को सुलझाने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए, जिनमें ऐतिहासिक असम समझौते का हस्ताक्षर भी शामिल है।

इसके अतिरिक्त, उन्होंने उत्तर पूर्वी परिषद के अध्यक्ष के रूप में आर्थिक और सामाजिक विकास को गति दी, साथ ही उन्होंने आदिवासी कल्याण को भी प्रोत्साहित किया और 24 विश्वविद्यालयों के चांसलर के रूप में शिक्षा की गुणवत्ता सुधार पर ध्यान केंद्रित किया। उनकी पारदर्शी और ईमानदार शैली, लोगों से जुड़ाव, और सामाजिक सरोकारों से प्रेरित कार्य उनकी पहचान रहे।

500 शब्दों में भीष्म नारायण सिंह पर निबंध

यहाँ आपके लिए 500 शब्दों में भीष्म नारायण सिंह पर निबंध (Essay on Bhishma Narain Singh in Hindi) का सैंपल दिया गया है, जो इस प्रकार हैं –

प्रस्तावना

भीष्म नारायण सिंह का जीवन आत्म‑नियंत्रण, समाजहित और लोकतंत्र की दृढ़ आस्था का उदाहरण रहा जिसमें उन्होंने प्रशासनिक दक्षता के साथ-साथ संवेदनशीलता और दूरदृष्टि का संतुलन बनाए रखा। झारखंड के पलामू जिले के उदयगढ़ गांव में जन्मे भीष्म नारायण सिंह एक सरल किसान परिवार में पले-बढ़े। वहीं शुरुआत से ही शासन के प्रति उनका दृष्टिकोण बहुत गंभीर था। बता दें कि उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई पूरी की, जिसका प्रभाव उनके विचारों पर भी पड़ा और उन्होंने अपने जीवन में देश के उत्थान में कई अहम निर्णय भी लिए।

भीष्म नारायण सिंह की राजनीतिक यात्रा 

भीष्म नारायण सिंह की राजनीतिक यात्रा की शुरुआत वर्ष 1967 में बिहार विधान सभा सदस्य के रूप में हुई। इसके बाद उनके कौशल और जनता में बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए वर्ष 1976 में राज्यसभा सदस्य चुने गए। इसके साथ ही उन्होंने केंद्र सरकार में संसदीय कार्य, आवास, श्रम, खाद्य और नागरिक आपूर्ति तथा संचार जैसे महत्वपूर्ण विभागों में मंत्री के रूप में कार्य किया।

भीष्म नारायण सिंह का राज्यपाल के तौर पर योगदान

देखा जाए तो विगत दशकों में सिंह जी ने विभिन्न राज्यों में राज्यपाल की जिम्मेदारी निभाई। 15 अप्रैल 1984 से 10 मई 1989 तक उन्होंने असम और मेघालय के राज्यपाल के रूप में सेवा की। 31 मई 1985 से 20 नवंबर 1985 तक सिक्किम में अतिरिक्त प्रभार संभाला, बता दें कि उन्हें राजभवन की आधिकारिक वेबसाइट द्वारा “लोकप्रिय” और “जन-उन्मुख” बताया गया है। इसके बाद 15 फरवरी, 1991 से 30 मई, 1993 तक उन्होंने तमिलनाडु के राज्यपाल के रूप में कार्य किया, साथ ही पुदुचेरी और अंडमान-निकोबार द्वीपसमूह का भी अतिरिक्त प्रभार संभाला।

भीष्म नारायण सिंह का समाज में योगदान

भीष्म नारायण सिंह का समाज में अमूल्य योगदान रहा है, देखा जाए तो वे राजनीतिक जीवन के अलावा सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय रहे। बता दें कि नोएडा जैसे शहरी केंद्रों में सामाजिक परियोजनाओं और संस्थाओं में उनकी उपस्थिति दर्ज रही है। इसके साथ ही वह वर्ष 1990 के दशक के बाद उन्हें अल्जीरिया सरकार के मेडल ऑफ मेरिट और 2009 में रूस की सर्वोच्च नागरिक सम्मान “ऑर्डर ऑफ फ्रेंडशिप” से भी नवाज़ा गया।

उपसंहार

भीष्म नारायण सिंह का जीवन देश सेवा, सामाजिक न्याय और राज्य प्रशासन को लेकर समर्पित रहा। एक सामान्य किसान परिवार से निकलकर उन्होंने राज्यसभा, केंद्रीय कैबिनेट व राज्यपाल पदों तक पहुंचकर न केवल राजनीतिक सफलता हासिल की, बल्कि समाज सेवा में भी अपना योगदान दिया। बता दें कि उन्हें “हाई ग्रेड बी-सेल लिम्फोमा” के कारण कई जटिलताओं के बाद 85 वर्ष की आयु में शांति मिली। भीष्म नारायण सिंह भारत की राजनीति का एक ऐसा नाम थे, जिन्होंने समाज के उत्थान के लिए सदैव अथक प्रयास किए।

भीष्म नारायण सिंह पर 10 लाइन

यहाँ आपके लिए भीष्म नारायण सिंह पर 10 लाइन दी गई हैं;-

  1. भीष्म नारायण सिंह का जन्म 13 जुलाई 1933 को झारखंड (उदयगढ़, पलामू जिला) में हुआ था।
  2. उन्होंने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की और छात्र जीवन से ही राजनीतिक गतिविधियों में सक्रिय रहे।
  3. स्वतंत्रता संग्राम के दौरान वे युवावस्था में ही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़ गए थे।
  4. उन्हें 31 मई 1985 को सिक्किम का राज्यपाल नियुक्त किया गया था।
  5. राज्यपाल के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान वे सही मायनों में सिक्किम के प्रमुख त्योहारों पंग ल्हाबसोल और लोसूंग को मनाने में सिक्किम के लोगों के करीब थे।
  6. इसके बाद में वे बिहार और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के उपराज्यपाल भी रहे।
  7. भीष्म नारायण सिंह को साफ-सुथरी छवि वाला राजनेता माना जाता है, जिनका जनता में गहरा विश्वास था।
  8. उनका योगदान भारतीय राजनीति में संवैधानिक मूल्यों की रक्षा और लोकतांत्रिक मर्यादाओं को मजबूत करने में अहम रहा है।
  9. वे भारत की पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की अध्यक्षता में 1978 से 1983 तक कांग्रेस संसदीय बोर्ड के स्थायी आमंत्रित सदस्य भी रहे।
  10. 1 अगस्त 2018 को उनका निधन हुआ, लेकिन उनकी विचारधारा आज भी युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।

भीष्म नारायण सिंह पर निबंध कैसे लिखें?

भीष्म नारायण सिंह पर निबंध लिखने के लिए निम्नलिखित स्टेप्स को फॉलो करें, जो इस प्रकार हैं;-

  • निबंध की शुरुआत एक सरल और आकर्षक वाक्य से करें।
  • अब पाठक को भीष्म नारायण सिंह के जीवन और राजनीतिक यात्रा के बारे में बताएं।
  • निबंध में यदि आप सही तथ्य और सरकारी आंकड़ों को पेश करते हैं, तो ऐसा करने से आपका निबंध और भी अधिक आकर्षक बन सकता है।
  • अंत में एक अच्छे निष्कर्ष के साथ आप अपने निबंध का समापन कर सकते हैं।

FAQs

भीष्म नारायण सिंह कौन थे और उनका राजनीतिक जीवन कब शुरू हुआ?

भीष्म नारायण सिंह एक प्रसिद्ध भारतीय राजनीतिज्ञ थे, जिन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया था।

भीष्म नारायण सिंह किस-किस राज्य के राज्यपाल रहे हैं?

भीष्म नारायण सिंह तमिलनाडु, पुडुचेरी, गोवा और कर्नाटक जैसे राज्यों के राज्यपाल रहे हैं।

भीष्म नारायण सिंह का जन्म कब हुआ था?

भीष्म नारायण सिंह का जन्म 13 जुलाई 1933 को हुआ था।

भारतीय राजनीति में भीष्म नारायण सिंह का योगदान क्या था?

उन्होंने संसद सदस्य, केंद्रीय मंत्री और राज्यपाल जैसे पदों पर रहकर लोकतंत्र और प्रशासन में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

भीष्म नारायण सिंह किस प्रधानमंत्री के कार्यकाल में केंद्रीय मंत्री बने थे?

भीष्म नारायण सिंह राजीव गांधी के प्रधानमंत्री कार्यकाल में केंद्रीय मंत्री नियुक्त हुए थे।

भीष्म नारायण सिंह की विशेष उपलब्धियाँ कौन-कौन सी थीं?

उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और प्रशासनिक सुधारों में सक्रिय भूमिका निभाई, विशेषकर राज्यपाल रहते हुए।

भीष्म नारायण सिंह को किस राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित किया गया था?

हालांकि उन्हें कोई विशिष्ट राष्ट्रीय पुरस्कार नहीं मिला, लेकिन उनकी सेवाओं को राजनीति और समाज सेवा में सराहा गया।

भीष्म नारायण सिंह का निधन कब हुआ और उनका योगदान कैसे याद किया जाता है?

उनका निधन 1 अगस्त, 2018 को हुआ था। उन्हें एक संवेदनशील, ईमानदार और अनुभवी राजनेता के रूप में याद किया जाता है।

भीष्म नारायण सिंह से जुड़े निबंध लेखन में किन बातों को शामिल करना चाहिए?

उनके जीवन परिचय, राजनीतिक योगदान, राज्यपाल कार्यकाल, समाज सेवा और उनके सिद्धांतों को विस्तार से शामिल करना चाहिए।

संबंधित आर्टिकल

प्रकृति पर निबंधजीएसटी पर निबंध
प्लास्टिक प्रदूषण पर निबंधबाल दिवस पर निबंध
संयुक्त परिवार पर निबंधजल संरक्षण पर निबंध
गरीबी पर निबंधपिकनिक पर निबंध
समय के सदुपयोग पर निबंधस्वामी विवेकानंद पर निबंध
मेरे जीवन के लक्ष्य पर निबंधपेड़ों के महत्व पर निबंध
बंकिम चंद्र चटर्जी पर निबंधरानी दुर्गावती पर निबंध
अच्छी आदतों पर निबंधदुर्गा पूजा पर निबंध
विश्व जनसंख्या दिवस पर निबंधव्यायाम पर निबंध
राष्ट्रीय एकता पर निबंधबरसात के दिन पर निबंध
आपदा प्रबंधन पर निबंधमेरे भाई पर निबंध
‘स्वयं’ पर निबंधयोग पर निबंध
कबीर दास पर निबंधलाल किला पर निबंध
उत्तर प्रदेश पर निबंधक़ुतुब मीनार पर निबंध
भारतीय संस्कृति पर निबंधसुभाष चंद्र बोस पर निबंध
जलवायु परिवर्तन पर निबंधहरित ऊर्जा पर निबंध

उम्मीद है, इस ब्लॉग में दिए भीष्म नारायण सिंह पर निबंध (Essay on Bhishma Narain Singh in Hindi) के सैंपल आपको पसंद आए होंगे। स्पीच राइटिंग से जुड़े अन्य ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बनें रहें।

Leave a Reply

Required fields are marked *

*

*