CAG Full Form in Hindi: CAG की फुल फॉर्म है भारत के नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (Comptroller & Auditor General of India)। यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण सरकारी पद होता है, जो यह देखता है कि सरकार का पैसा सही तरीके से खर्च हो रहा है या नहीं। CAG की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। फिलहाल गिरीश चंद्र मुर्मू भारत के CAG हैं। वे 1985 बैच के गुजरात कैडर के वरिष्ठ IAS अधिकारी हैं और उन्होंने 8 अगस्त 2020 को इस पद का कार्यभार संभाला था। भारत में महालेखाकार का कार्यालय साल 1858 में शुरू हुआ था, जब ईस्ट इंडिया कंपनी ने देश का प्रशासन अपने हाथ में लिया था। CAG देश के वित्तीय लेन-देन की जांच करता है ताकि पारदर्शिता बनी रहे और किसी भी तरह की गड़बड़ी न हो। CAG Full Form in Hindi के बारे में अधिक जानने के लिए लेख को अंत तक जरूर पढ़ें।
CAG Full Form in Hindi | ‘भारत के नियंत्रक और महालेखापरीक्षक’ (Comptroller & Auditor General of India-CAG) |
भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक (CAG) का कार्य
भारत के नियंत्रक और महालेखापरीक्षक भारत के संविधान के तहत एक स्वतंत्र प्राधिकरण है। बता दें कि यह भारतीय लेखा परीक्षा और लेखा विभाग का प्रमुख और सार्वजनिक क्षेत्र का प्रमुख संरक्षक है। इस संस्था के माध्यम से संसद और राज्य विधानसभाओं के लिए सरकार और अन्य सार्वजनिक प्राधिकरणों की जवाबदेही सुनिश्चित की जाती है।
भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक की पृष्ठभूमि
वर्ष 1860 में ‘सर एडवर्ड ड्रमंड’ को भारत के प्रथम ऑडिटर जनरल के रूप में नियुक्त किया गया था। फिर इसके कुछ वर्ष बाद भारत के महालेखापरीक्षक को भारत सरकार का लेखा परीक्षक और महालेखाकार कहा जाने लगा। वहीं देश की आजादी के बाद वर्ष 1948 में ‘वी.नरहरि राव’ (V. Narahari Rao) स्वतंत्र भारत के पहले भारत के नियंत्रक और महालेखापरीक्षक’ बने। उनका कार्यकाल वर्ष 1948 से 1954 के बीच रहा था।
FAQs
CAG का पूरा नाम ‘भारत का नियंत्रक और महालेखापरीक्षक’ (Comptroller & Auditor General of India-CAG) होता है।
वर्तमान में वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ‘गिरीश चंद्र मुर्मू’ भारत के नियंत्रक और महालेखापरीक्षक है।
वी. नरहरि राव स्वतंत्र भारत के प्रथम CAG अध्यक्ष थे।
भारत का नियंत्रक और महालेखापरीक्षक राष्ट्रपति की सील और वारंट द्वारा नियुक्त किया जाता है।
CAG का मुख्य कार्य केंद्र और राज्य सरकारों के खातों की जांच (Audit) करना होता है। यह यह सुनिश्चित करता है कि जनता का पैसा सही ढंग से और नियमों के अनुसार खर्च हुआ है या नहीं। CAG की रिपोर्ट संसद और विधानसभाओं में पेश की जाती है, जिससे सरकारी खर्चों में पारदर्शिता बनी रहती है।
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