कौन हैं प्रतिष्ठित विक्टोरियन प्रीमियर अवार्ड जीतने वाली भारतीय महिला छात्राएं?

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दिव्यांगना शर्मा और रितिका सक्सेना, ऑस्ट्रेलिया में दो भारतीय महिला छात्रों ने प्रतिष्ठित विक्टोरियन प्रीमियर का पुरस्कार जीता है। The Australia Today के कोरेस्पोंडेंट अमित सरवाल के अनुसार, ये पुरस्कार विक्टोरिया में एडवांस्ड अंतरराष्ट्रीय छात्रों को मान्यता देने के लिए एक विक्टोरियन सरकार की पहल है। 

दिव्यांगना शर्मा को विक्टोरियन प्रीमियर अवार्ड – इंटरनेशनल स्टूडेंट ऑफ द ईयर 2021-22 और रितिका सक्सेना को रिसर्च कैटेगरी में इंटरनेशनल स्टूडेंट ऑफ द ईयर चुना गया। 

Australia Today के अनुसार, रितिका 18 साल की उम्र में मेलबर्न चली गईं थीं और अब स्टेम सेल रिसर्च पर PhD की छात्रा हैं। 

दिव्यांगना ने उच्च शिक्षा श्रेणी में विक्टोरियन अंतरराष्ट्रीय शिक्षा पुरस्कार 2021-22 भी जीता है। सरवाल ने कहा कि वह फरवरी 2020 में होम्सग्लेन इंस्टीट्यूट में नर्सिंग की पढ़ाई करने मेलबर्न आई थीं।

सरवाल की रिपोर्ट के अनुसार, `प्रीमियर अवार्ड – इंटरनेशनल स्टूडेंट ऑफ द ईयर’ के विनर्स को अपनी पढ़ाई का समर्थन करने के लिए USD 10,000 मिलते हैं। यह पुरस्कार उन भारतीय माता-पिता के लिए आशा की किरण है जो विदेशों में भारतीय छात्रों के खिलाफ हेट क्राइम्स में बढ़ोतरी के बाद अपने बच्चों को पढ़ाई के लिए भेजने से कतराते हैं।

ऑस्ट्रेलिया में हेट क्राइम्स को लेके भारतीय MEA ने कहा, “कनाडा में हमारे हाई कमीशन/कांसुलेट्स ने इन घटनाओं को कनाडा के अधिकारियों के साथ उठाया है और उनसे उक्त अपराधों की जांच करने और उचित कार्रवाई करने का अनुरोध किया है।

विदेशों में भारतीय दूतावास और कमीशन स्थानीय अधिकारियों के साथ-साथ विदेशों में पढ़ रहे भारतीय छात्रों के संपर्क में हैं। उनकी सुरक्षा के लिए सर्कुलर जारी करते हैं और उन्हें अपनी प्राथमिकता लिस्ट में रखते हैं, COVID-19 और यूक्रेन इसके कुछ ज्वलंत उदाहरण हैं।

इन अलग-अलग घटनाओं में माता-पिता को अपने बच्चों को विदेश में उच्च अध्ययन के लिए भेजने के लिए प्रतिबंधित नहीं करना चाहिए। यह विश्व स्तरीय शिक्षा और वैश्विक प्रदर्शन प्राप्त करने का एक अवसर है।

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