बौद्ध धर्म का इतिहास

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इस इस ब्लॉग में बौद्ध धर्म (Buddha Dharma in Hindi) के बारे उल्लेख किया गया है कि जब महात्मा बुद्ध को सच्चे बोध की प्राप्ति हुई उसी वर्ष आषाढ़ की पूर्णिमा को वे काशी के पास मृगदाव (वर्तमान में सारनाथ) पहुँचे। यह बात भी जानने  को मिलती है कि वहीं पर उन्होंने सबसे पहला धर्मोपदेश दिया, जिसमें उन्होंने लोगों से मध्यम मार्ग अपनाने के लिए कहा। साथ में इस बात का उल्लेख भी हुआ है कि चार आर्य सत्य अर्थात दुःख, उसके कारण और निवारण के लिए अष्टांगिक मार्ग सुझाया, अहिंसा पर जोर दिया, और यज्ञ, कर्मकांड और पशु-बलि की निंदा की। चलिए बौद्ध धर्म (Buddha Dharma in Hindi) के बारे में विस्तार से जानते हैं।

भगवान बुद्ध का परिचय

भगवान बुद्ध को गौतम बुद्ध, सिद्धार्थ और तथागत के भी नाम से जाना जाता है। ‍बुद्ध के पिता का नाम कपिलवस्तु था, वह राजा शुद्धोदन थे और इनकी माता का नाम महारानी महामाया देवी था। बुद्ध की पत्नी का नाम यशोधरा था और उनके पुत्र का नाम राहुल था। भगवान बुध का जन्म वैशाख माह की पूर्णिमा के दिन नेपाल के लुम्बिनी में ईसा पूर्व 563 को हुआ। यह बात जानने के लिए मीली की इसी दिन 528 ईसा पूर्व उन्होंने भारत के बोधगया में सत्य को जाना और साथ में इसी दिन वे 483 ईसा पूर्व को 80 वर्ष की उम्र में भारत के कुशीनगर में निर्वाण (मृत्यु) को उपलब्ध हुए।

भगवान बुद्ध का इतिहास

बौद्ध धर्म भारत की श्रमण परम्परा से निकला धर्म और दर्शन है। इसके संस्थापक भगवान बुद्ध, शाक्यमुनि (गौतम बुद्ध) थे। बुद्ध राजा शुद्धोदन के पुत्र थे और इनका जन्म लुंबिनी नामक ग्राम (नेपाल) में हुआ था। वे छठवीं से पाँचवीं शताब्दी ईसा पूर्व तक जीवित थे। उनके गुज़रने के बाद अगली पाँच शताब्दियों में, बौद्ध धर्म पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में फ़ैला, और अगले दो हज़ार सालों में मध्य, पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी जम्बू महाद्वीप में भी फ़ैल गया। आज, बौद्ध धर्म में तीन मुख्य सम्प्रदाय हैं: थेरवाद, महायान और वज्रयान। बौद्ध धर्म को पैंतीस करोड़ से अधिक लोग मानते हैं और यह दुनिया का चौथा सबसे बड़ा धर्म है। गौतम बुद्ध ने जिस ज्ञान की प्राप्ति की थी उसे ‘बोधि’ कहते हैं। माना जाता है कि बोधि पाने के बाद ही संसार से छुटकारा पाया जा सकता है।

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बुद्ध पूर्णिमा

बौद्ध धर्म में बौद्ध धर्म में आस्था रखने वालों के लिए बुद्ध पूर्णिमा बहुत पवित्र त्यौहार है। वैशाख महीने की पूर्णिमा को ही बुद्ध पूर्णिमा कहा जाता है। गौतम बुद्ध का जन्मदिवस भी इसी दिन आता है और बुद्ध पूर्णिमा के दिन ही उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। इस दिन धर्मराज की भी पूजा की जाती है। बुद्ध पूर्णिमा के दिन दान पुण्य करना शुभ माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार बुद्ध पूर्णिमा के दिन नदियों तथा पवित्र सर ओवरों में स्नान करना लाभकारी माना जाता है। मान्यता के अनुसार बुद्ध को विष्णु का नौवां अवतार माना जाता है। यह एक विशेष बात है कि वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन बुद्ध का जन्म हुआ था और इसी‍ दिन उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ था और इसी दिन उन्होंने देह छोड़ ‍दी थी अर्थात निर्वाण प्राप्त किया था इसलिए उक्त पूर्णिमा के दिन बुद्ध जयंती और निर्वाण दिवस मनाया जाता है। यह बात नहीं मानी जाती है कि इसके अलावा आषाढ़ की पूर्णिमा का दिन भी बौद्धों का प्रमुख त्योहार होता है।

गौतम बुद्ध की कहानी जानें इस एनिमेटेड वीडियो के जरिए-


Source: Vrat Parva Tyohar

Buddha Dharma in Hindi: बौद्ध सम्प्रदाय (बौद्ध धर्म)

Courtesy: Pinterest

यह बात की जानकारी मिलती है कि भगवान बुद्ध के समय किसी भी प्रकार का कोई पंथ या सम्प्रदाय नहीं था किंतु बुद्ध के निर्वाण के बाद द्वितीय बौद्ध संगति में भिक्षुओं में मतभेद के चलते दो भाग हो गए। यह बात पता चलती है कि पहले को हिनयान और दूसरे को महायान कहते हैं। महायान शब्द का अर्थात बड़ी गाड़ी या नौका और हिनयान  शब्द का अर्थात छोटी गाड़ी या नौका, थेरवाद भी कहते हैं। इस बात का उल्लेख हुआ है कि महायान के अंतर्गत बौद्ध धर्म की एक तीसरी शाखा थी वज्रयान। 

  • झेन, 
  • ताओ,
  •  शिंतो आदि अनेकों बौद्ध सम्प्रदाय भी उक्त दो सम्प्रदाय के अंतर्गत ही माने जाते हैं।

बुद्ध के गुरु और शिष्य

भगवान बुद्ध के प्रमुख गुरु थे- 

  • गुरु विश्वामित्र,
  •  अलारा,
  •  कलम, 
  • उद्दाका रामापुत्त आदि

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भगवान बौद्ध के प्रमुख शिष्य थे- 

  • आनंद, 
  • अनिरुद्ध,
  •  महाकश्यप,
  •  रानी खेमा (महिला), 
  • महाप्रजापति (महिला),
  •  भद्रिका, 
  • भृगु,
  •  किम्बाल, 
  • देवदत्त, 
  • उपाली आदि। 

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भगवान बुद्ध के सिद्धान्त

महात्मा बुद्ध ने अपने धर्म में सामाजिक, आर्थिक, बौद्धिक, राजनीतिक, स्वतंत्रता एवं समानता की शिक्षा दी है। बौद्ध धर्म मूलतः अनीश्वरवादी अनात्मवादी है अर्थात इसमें ईश्वर और आत्मा की सत्ता को स्वीकार नहीं किया गया है, किन्तु इसमें पुनर्जन्म को मान्यता दी गयी है। बुद्ध ने सांसारिक दुःखों के सम्बन्ध में चार आर्य सत्यों का उपदेश दिया। ये आर्य सत्य बौद्ध धर्म का मूल आधार हैं, जो इस प्रकार हैं-

1. दुःख – संसार में सर्वत्र दुःख है। जीवन दुःखों व कष्टों से भरा है। संसार को दुःखमय देखकर ही बुद्ध ने कहा था- “सब्बम् दुःखम्”।

2. दुःख समुदाय – दुःख समुदाय अर्थात दुःख उत्पन्न होने के कारण हैं। प्रत्येक वस्तु का कोई न कोई कारण अवश्य होता है। अतः दुःख का भी कारण है। सभी कारणों का मूल अविद्या तथा तृष्णा है। दुःखों के कारणों को “प्रतीत्य समुत्पाद” कहा गया है। इसे “हेतु परम्परा” भी कहा जाता है।

प्रतीत्य समुत्पाद बौद्ध दर्शन का मूल तत्व है। अन्य सिद्धान्त इसी में समाहित हैं। बौद्ध दर्शन का क्षण-भंगवाद भी प्रतीत्य समुत्पाद से उत्पन्न सिद्धान्त है। प्रतीत्य समुत्पाद का अर्थ है कि संसार की सभी वस्तुयें कार्य और कारण पर निर्भर करती हैं। संसार में व्याप्त हर प्रकार के दुःख का सामूहिक नाम “जरामरण” है। जरामरण के चक्र (जीवन चक्र) में बारह क्रम हैं- जरामरण, जाति (शरीर धारण करना), भव (शरीर धारण करने की इच्छा), उपादान (सांसारिक विषयों में लिपटे रहने की इच्छा), तृष्णा, वेदना, स्पर्श, षडायतन (पाँच इंद्रियां तथा मन), नामरूप, विज्ञान (चैतन्य), संस्कार व अविद्या। प्रतीत्य समुत्पाद में इन कारणों के निदान की अभिव्यंजना की गई है।

3. दुःख निरोध – दुःख का अन्त सम्भव है। अविद्या तथा तृष्णा का नाश करके दुःख का अन्त किया जा सकता है।

4. दुःख निरोध गामिनी प्रतिपदा – अष्टांगिक मार्ग ही दुःख निरोध गामिनी प्रतिपदा हैं।

बौद्ध धर्म की विशेषताएं

बौद्ध धर्म की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं-

  1. बौद्ध धर्म के द्वारा अनात्मवाद को माना जाता है। महात्मा बुद्ध के अनुसार इसका अर्थ यह है कि संसार में ना कोई आत्मा है और ना ही आत्मा की तरह कोई अन्य वस्तु।
  2. बौद्ध धर्म “मध्यम-मार्ग” में विश्वास रखता है।
  3. पशुओं और अहिंसा की रक्षा पर बौद्ध धर्म जोर देता है।
  4. महात्मा बुद्ध के अनुसार मानव स्वयं अपने भाग्य का निवारण करने वाला होता है, को ईश्वर नहीं होता है। इसलिए बौद्ध धर्म वेदों और ईश्वर की प्रमाणिकता पर विश्वास नहीं करता है।
  5. बौद्ध धर्म की सारी शिक्षा का सारांश ‘चार्य आर्य सत्य‌’ में मिलता है।

भगवान बुद्ध (Bhudh Dharma) के प्रमुख प्रचारक

  •  अँगुलिमाल,
  •  मिलिंद (यूनानी सम्राट),
  •  सम्राट अशोक,
  •  ह्वेन त्सांग, 
  • फा श्येन,
  •  ई जिंग, 
  • हे चो आदि।

बौद्ध धर्मग्रंथ

Buddha Dharma in Hindi
Source: vidyadoot

बौद्ध धर्म के मूल तत्व यह है कि-

  •  चार आर्य सत्य, 
  • आष्टांगिक मार्ग, 
  • प्रतीत्यसमुत्पाद, 
  • अव्याकृत प्रश्नों पर बुद्ध का मौन, 
  • बुद्ध कथाएँ, 
  • अनात्मवाद
  • निर्वाण। 

यह सबसे अहम बात है कि बुद्ध ने अपने उपदेश पालि भाषा में दिए, जो त्रिपिटकों में संकलित हैं। त्रिपिटक के तीन भाग है- 

  • विनयपिटक, 
  • सुत्तपिटक 
  • अभिधम्मपिटक। 

इस बात का उल्लेख किया गया है कि उक्त पिटकों के अंतर्गत उप-ग्रंथों की विशाल श्रृंखलाएँ है। इस बात की जानकारी मिलती है कि सुत्तपिटक के पाँच भाग में से एक खुद्दक निकाय की पंद्रह रचनाओं में से एक है धम्मपद। सब में से धम्मपद ज्यादा प्रचलित है।

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बौद्ध तीर्थ- 

  • लुम्बिनी, 
  • बोधगया, 
  • सारनाथ 
  • कुशीनगर 

ये चार प्रमुख बौद्ध तीर्थ स्थल है, यह बात पता चलती है कि जहाँ विश्वभर के बौद्ध अनुयायी बौद्ध त्योहार पर इकट्‍ठा होते हैं, लुम्बिनी तीर्थ नेपाल में है। इस बात का उल्लेख किया गया है कि बोधगया भारत के बिहार में है, सारनाथ भारत के उत्तरप्रदेश में काशी के पास हैं और कुशीनगर उत्तरप्रदेश के गोरखपुर के पास का एक जिला है।

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बौद्ध शिक्षा प्रणाली क्या है?

बौद्ध शिक्षा प्रणाली  बुनियादी जीवन के आधार पर विकसित की गई थी। यह  शिक्षा  छात्र के नैतिक, मानसिक और शारीरिक विकास पर आधारित होती है। यह छात्रों को संघ के नियमों की ओर मोड़ता है और उनका पालन करने के लिए मार्गदर्शन करता है।

5 वीं शताब्दी ईसा पूर्व में वापस, बौद्ध शिक्षा मूल रूप से भगवान बुद्ध द्वारा सिखाई गई थी और इसकी प्रमुख विशेषता यह है कि यह मठवासी है और सभी जातियों को शामिल करता है (भारत में उस समय जाति व्यवस्था व्यापक रूप से प्रचलित थी)। बौद्ध शिक्षा प्रणाली का केंद्रीय उद्देश्य एक बच्चे के व्यक्तित्व के सर्वांगीण और समग्र विकास को सुगम बनाना है , चाहे वह बौद्धिक और नैतिक विकास के साथ-साथ शारीरिक और मानसिक विकास हो।

भारत में बौद्ध शिक्षा प्रणाली की विशेषताएं

यहाँ भारत में बौद्ध शिक्षा प्रणाली की 8 सबसे प्रमुख विशेषताएं हैं:

  • शिक्षा का उद्देश्य निर्वाण प्राप्त करना है और उसी के अनुसार पूरी व्यवस्था स्थापित की जाती है।
  • इस प्रकार की शिक्षा मुख्य रूप से मठों, विहारों और मठों में प्राप्त की जाती है और इस प्रणाली का प्रबंधन भिक्षुओं द्वारा किया जाता है। श्रमणों और भिक्षुओं का मठवासी जीवन हमेशा भारत का हिस्सा रहा है इसलिए चीन, जापान, कोरिया, जावा, बर्मा, सीलोन, तिब्बत आदि देशों के कई छात्र ज्ञान प्राप्त करने के लिए यहां आते हैं।
  • इस शिक्षा प्रणाली का शिक्षण के प्रति व्यापक और सकारात्मक दृष्टिकोण है। इसलिए बौद्ध शिक्षा प्रणाली में सभी जातियों, धर्मों और नस्लों के छात्रों का समानता के साथ स्वागत किया जाता है। यह भारत में लोकप्रिय होने के प्रमुख कारणों में से एक है क्योंकि ब्राह्मणवादी शिक्षा प्रणाली यह समावेशी नहीं थी।
  • धार्मिक और दार्शनिक पहलुओं के साथ-साथ धर्मनिरपेक्ष शिक्षा को महत्व दिया जाता है।
  • एक सामंजस्यपूर्ण शिक्षक-छात्र संबंध बनाए रखा जाता है। शिक्षक छात्रों को समान सम्मान देता है और छात्र से समान स्नेह प्राप्त करता है। यह एक अनुशासित जीवन स्थापित करने में मदद करता है।
  • जीवन की मूलभूत आवश्यकताएँ जैसे कताई, बुनाई, ड्राइंग, चिकित्सा आदि पाठ्यक्रम का एक हिस्सा हैं। ये बुनियादी कौशल छात्रों को स्वतंत्र होने में मदद करते हैं।
  • सीखने की प्रक्रिया व्याख्यान, पूछताछ और चर्चा के माध्यम से की जाती है।
  • बुशिस्ट शिक्षा प्रणाली को जीवन की विभिन्न समस्याओं के ठोस समाधान खोजने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

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1.“सत्य के मार्ग पर चलते हुए कोई दो ही गलती कर सकता है; एक पूरा रास्ता तय न करना और दूसरी इसकी शुरुआत ही न करना”

Buddha Dharma in Hindi

2.“जो कुछ भी आपके पास है उसे बढ़ा-चढ़ाकर मत बताओ और न ही दूसरों से ईर्ष्या करो, जो दूसरों से ईर्ष्या करता है उसे मन की शांति नहीं मिलती”

Buddha Dharma in Hindi

3.“हजार योद्धाओं पर विजय पाना आसान है। लेकिन जो अपने ऊपर विजय पाता है वही सच्चा विजयी है”

4.“हजारों खोखले शब्दों से अच्छा वह एक शब्द है जो शांति लाये”

5.“घृणा, घृणा करने से कम नहीं होती है बल्कि प्रेम करने से होती है। यही शाश्वत नियम है”

6. “हम जो सोचते हैं, वह बन जाते हैं”

7. “मैं कभी नहीं देखता की क्या किया जा चुका है; मैं हमेशा देखता हूँ की क्या किया जाना बाकी है”

8.“हम जो कुछ भी हैं वह हमने आज तक क्या सोचा इस बात का परिणाम है। यदि कोई व्यक्ति बुरी सोच के साथ बोलता या काम करता है, तो उसे कष्ट ही मिलता है। यदि कोई व्यक्ति शुद्ध विचारों के साथ बोलता या काम करता है, तो उसकी परछाई की तरह ख़ुशी उसका साथ कभी नहीं छोड़ती”

9. “आप अपने क्रोध के लिए दंड नहीं पाओगे। आप अपने क्रोध के द्वारा दंड पाओगे”

10.“बूँद बूँद से घड़ा भरता है”

11.“मनुष्य क्रोध को प्रेम से, पाप को सदाचार से, लोभ को दान से और झूट को सत्य से जीत सकता है”

12.“आप अपने क्रोध के लिए दंड नहीं पाओगे। आप अपने क्रोध के द्वारा दंड पाओगे”

13.“क्रोध को पाले रखना गरम कोयले को किसी और पर फेंकने की नीयत से पकडे रहने के समान है, इसमें आप ही जलते हैं”

14.“सबसे अँधेरी रात अज्ञानता है”

15. “किसी जानवर की अपेक्षा एक कपटी और दुष्ट मित्र से ज्यादा डरना चाहिए, जानवर तो बस आपके शरीर को नुक्सान पहुंचा सकता है पर बुरा मित्र आपकी बुद्धि को नुक्सान पहुंचा सकता है”

16.“तीन चीजें ज्यादा देर तक नहीं छुप सकती – सूर्य, चन्द्रमा और सत्य”

17. “सभी बुरे कार्य मन के कारण उत्पन्न होते हैं, यदि मन परिवर्तित हो जाये तो क्या अनैतिक कार्य रह सकते हैं?”

18.“जैसे मोमबत्ती बिना आग के नहीं जल सकती, मनुष्य भी आध्यात्मिक जीवन के बिना नहीं जी सकता”

19.“स्वस्थ्य सबसे बड़ा उपहार है, संतोष सबसे बड़ा धन है, वफादारी सबसे बड़ा सम्बन्ध है”

महात्मा बुद्ध के उपदेश

“हर सुबह हम पुनः जन्म लेते हैं, हम आज क्या करते हैं यही सबसे अधिक मायने रखता है।” 

“एक पल एक दिन को बदल सकता है, एक दिन एक जीवन को बदल सकता है, और एक जीवन इस दुनिया को बदल सकता है।”

“हमें हमारे सिवा कोई और नहीं बचाता, न कोई बचा सकता है, और न कोई ऐसा करने का प्रयास करे, हमें खुद ही इस मार्ग पर चलना होगा।”

“जिस काम को करने में वर्तमान में तो दर्द हो लेकिन भविष्य में खुशी, उसे करने के लिए काफी अभ्यास की जरूरत होती है।”

“हजारों खोखले शब्दों से अच्छा वह एक शब्द है जो शांति लाये।” 

“शांति अन्दर से आती है. इसे बाहर मत खोजो।” – गौतम बुद्ध

“जूनून जैसी कोई आग नहीं है, नफरत जैसा कोई दरिंदा नहीं है, मूर्खता जैसी कोई जाल नहीं है, लालच जैसी कोई धार नहीं है।” 

“पैर तभी पैर महसूस करता है जब यह जमीन को छूता है।”

“हर इंसान को यह अधिकार है कि वह अपनी दुनिया की खोज स्वंय करे।”

“हर अनुभव कुछ न कुछ सिखाता है – हर अनुभव महत्वपूर्ण है, क्योंकि हम अपनी गलतियों से ही सीखते हैं।” 

“तुम्हारा रास्ता आकाश में नहीं है। रास्ता दिल में है।”

“अपने मोक्ष के लिए खुद ही प्रयत्न करें, दूसरों पर निर्भर ना रहे।”

“वह व्यक्ति जो 50 लोगों से प्यार करता है उसके पास खुश होने के लिए 50 कारण होते हैं। जो किसी से प्यार नहीं करता उसके पास खुश रहने का कोई कारण नहीं होता।” 

Buddha Dharma in Hindi

“अगर थोड़े से आराम को छोड़ने से व्यक्ति एक बड़ी खुशी को देख पाता है, तो एक समझदार व्यक्ति को चाहिए कि वह थोड़े से आराम को छोड़कर बड़ी खुशी को हासिल करे।” 

“एक जागे हुए व्यक्ति को रात बड़ी लम्बी लगती है, एक थके हुए व्यक्ति को मंजिल बड़ी दूर नजर आती है। इसी तरह सच्चे धर्म से बेखबर मूर्खों के लिए जीवन-मृत्यु का सिलसिला भी उतना ही लंबा होता है।”

Buddha Dharma in Hindi

“मैं कभी नहीं देखता क्या किया गया है, मैं केवल ये देखता हूं कि क्या करना बाकी है।”

Buddha Dharma in Hindi

“आपके पास जो कुछ भी है है उसे बढ़ा-चढ़ा कर मत बताइए, और ना ही दूसरों से ईर्ष्या कीजिये. जो दूसरों से ईर्ष्या करता है उसे मन की शांति नहीं मिलती।” 

Buddha Dharma in Hindi

“एक मूर्ख व्यक्ति एक समझदार व्यक्ति के साथ रहकर भी अपने पूरे जीवन में सच को उसी तरह से नहीं देख पाता, जिस तरह से एक चम्मच, सूप के स्वाद का आनंद नहीं ले पाता है।”

“क्रोध को प्यार से, बुराई को अच्छाई से, स्वार्थी को उदारता से और झूठे व्यक्ति को सच्चाई से जीता जा सकता है।” 

Buddha Dharma in Hindi

“जो व्यक्ति अपना जीवन को समझदारी से जीता है उसे मृत्यु से भी डर नहीं लगता।” 

Buddha Dharma in Hindi संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न

प्रश्न 1: बौद्ध धर्म के संस्थापक कौन थे ?

उत्तर : गौतम बुद्ध

प्रश्न 2:  गौतम बुद्ध के पिता का क्या नाम था ?

उत्तर : गौतम बुद्ध के पिता का शुद्धोधन था।

प्रश्न 3 : सिद्धार्थ का गोत्र क्या था ?

उत्तर  : गौतम

प्रश्न 4:   गौतम बुद्ध का जन्म स्थान कहाँ था ?

उत्तर  :  कपिलवस्तु का लुम्बिनी नामक स्थान।

प्रश्न 5: गौतम बुद्ध का जन्म कब हुआ था ?

उत्तर :  563 ई.पू.

प्रश्न 6:  महात्मा बुद्ध ने अपना प्रथम गुरु किसे बनाया ?

उत्तर  :  आलारकलाम को।

प्रश्न 7 :   जिस स्थान पर बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई उस स्थान को क्या कहा जाता है?

उत्तर  :  बोधगया।

प्रश्न 8 : वैशाख पूर्णिमा किस नाम से प्रसिद्ध है ?

उत्तर  :  बुद्ध पूर्णिमा।

प्रश्न 9: चतुर्थ बौद्ध संगीति के उपाध्यक्ष कौन थे ?

उत्तर :  चतुर्थ बौद्ध संगीति के उपाध्यक्ष अश्वघोष थे।

प्रश्न 10 : बुद्ध ने अपना प्रथम उपदेश कहाँ दिया था ?

उत्तर : बुद्ध ने अपना प्रथम उपदेश सारनाथ में दिया था।

FAQs

बौद्ध धर्म में किसकी पूजा की जाती है?

बौद्ध धर्म में गौतम बुद्ध की पूजा की जाती है जिन्हें विष्णु का नवां अवतार माना जाता है।

बौद्ध धर्म के नियम क्या है?

सामाजिक व्यवस्था

बौद्ध धर्म का मूल मंत्र क्या है?

“बुद्धं शरणं गच्छामि”

दुनिया में बौद्ध देश कितने हैं?

लगभग 20 से अधिक

बौद्ध धर्म की पुस्तक का नाम क्या है?

त्रिपिटक

बुद्धम शरणम गच्छामि का अर्थ क्या है?

 मैं बुद्ध की शरण जाता हूं

भारत में बौद्धों की संख्या कितनी है?

2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में बौद्धों की संख्या 84,42,272 हैं।

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